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कौन नहीं चाहता कि उनके जीवन में चीजों को बहुत ही कुशल तरीके से मैनेज या क्रमबद्ध किया जाए जिसके परिणामस्वरूप उत्पादकता में वृद्धि, बेहतर परिणाम और जल्दी सफलता प्राप्त हो? चाहे वह वर्क लाइफ बैलेंस मैनेज करना हो या डाइट और रूटीन वर्कऑउट्स के बीच बैलेंस बनाना हो या इनकम और एक्सपेंस के बीच संतुलन बनाना हो। इसी तरह, शेयर बाजार में, इंडिविजुअल इंवेस्टमेंट्स को मैनेज करना ताकि एक निश्चित समय सीमा के भीतर अपनी कमाई को अधिकतम किया जा सके, पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के अंतर्गत आता है।
एक कुशल पोर्टफोलियो मैनेजमेंट की प्रैक्टिस ये सुनिश्चित करती है कि एक व्यक्ति मार्किट रिस्क्स को कम करने के बाद इनवेस्टेड कैपिटल पर अपने रिटर्न को आसानी से अधिकतम कर सकता है। और ये पोर्टफोलियो मैनेजमेंट स्ट्रेटेजी अनिवार्य रूप से उम्र, आय, समय सीमा, जोखिम लेने की क्षमता और उनके परफॉरमेंस के आधार पर एक इंडिविजुअल इन्वेस्टर के प्रोफाइल के लिए सही इन्वेस्टमेंट ओपशंस को सुनिश्चित करता है। यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि कैसे वह व्यक्ति अपने फाइनेंसियल गोल्स को ध्यान में रखके, एसेट्स को रिस्क के हिसाब से allocate करके, प्रॉफिटेबल इन्वेस्टमेंट मिक्स को अचीव करके,अपने पोर्टफोलियो को diversify करने का निर्णय लेता है।
पोर्टफोलियो बनाने से पहले कई और फैक्टर्स की जांच करने की आवश्यकता होती है, जिसे मेरे कोर्स "ए कम्पलीट कोर्स ऑन इंडियन स्टॉक मार्किट ", के Module 7 में समझाया गया है।
Module 7 बताता है कि कैसे पोर्टफोलियो मैनेजमेन्ट स्टॉकस एंड सिक्योरिटीज में इन्वेस्टमेंट को सेलेक्ट एंड मैनेज करने की कला और विज्ञान है। एक्टिव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के लिए एक व्यक्ति में कंपनियों के बारे में रिसर्च, इन्वेस्टमेंट पर निर्णय लेने और मार्किट फोरकास्टिंग करने जैसी स्किल्स की आवश्यकता होती है। एक्टिव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में किसी भी व्यक्ति को यह जानने की जरूरत है कि वेरियस एसेट क्लासेज में फंड्स को कैसे allocate किया जाए और बाजार की स्थितियों के अनुसार पोर्टफोलियो को कैसे diversify एंड रिबैलन्स कैसे किया जाए।
जबकि, पैसिव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट निफ्टी और सेंसेक्स जैसे कुछ स्टैण्डर्ड इन्डिसेस को फॉलो कर रहा है और आँख बंद करके उनमें इन्वेस्टमेंट कर रहा है। किसी भी इंडिविजुअल को एक पैसिव पोर्टफोलियो मैनेज करने के लिए अपने ज़्यादा efforts लगाने की आवश्यकता नहीं है, इसके लिए उसे केवल उन कंपनियों में इन्वेस्ट करने की आवश्यकता है जो उस फोल्लोविंग इंडेक्स में लिस्टेड हैं, उसी सेम वेटेज में जिसके इंडेक्स को वो रिप्रेजेंट करते है।
मेरे कोर्स के Module 7 में बेस्ट इन्वेस्टमेंट प्लान को डेवलप करने के लिए इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो मैनेजमेंट से संबंधित सभी टॉपिक्स शामिल हैं जो इन्वेस्टमेंट ओरिएंटेड प्रोब्लेम्स के खिलाफ कस्टमाइज्ड समाधान प्राप्त करने में मदद करेंगे। Module 7 में चैप्टर्स हैं-
क्लास 63। पोर्टफोलियो मैनेजमेंट – पार्ट 1।
क्लास 64। पोर्टफोलियो मैनेजमेंट – पार्ट 2।
क्लास 65। एक्टिव एंड पैसिव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सीखे।
एक बार जब आप इफेक्टिव पोर्टफोलियो मैनेजमेंट की मैनेजरियल प्रक्रिया को समझ लेते हैं, तो आप अपने स्वयं के पोर्टफोलियो मैनेजर बन सकते हैं और आपकी कमाई को बढ़ावा देने और पोर्टफोलियो की प्रोफिटेबिलिटी में काफी हद तक सुधार करने के लिए एक अच्छा इन्वेस्टमेंट पोर्टफोलियो सुनिश्चित करने के लिए सूटेबल स्ट्रेटेजीज को प्रैक्टिस में ला सकते है।
अगर आपने मेरे कोर्स, "ए कम्पलीट कोर्स ऑन इंडियन स्टॉक मार्किट ", में एनरोल किया है और आपको Module 7 के किसी भी वीडियो क्लासेज से रिलेटेड कोई भी डाउट है तो आप यहां इस ब्लॉग के नीचे कमेंट करके पूछ सकते है।
वैसे तो आपको एक zoom link भेजा जायेगा और में भी रेगुलरली डिफरेंट टाइम पर आपके सभी सवालो का जवाब देने के लिए लाइव डाउट सेशंस लेता रहूँगा। साथ ही साथ, आप अपने सवाल यहां भी पूछ सकते है।
हर Module के लिए ऐसे ही एक ब्लॉग बनाया गया है। एक ही आशा है की सवाल पूछते टाइम इस बात का ध्यान रखा जाए की सवाल Module सम्बंधित ही हो और चैप्टर के नाम के साथ ही पुछा जाए।
आपका
कुंदन किशोर
Module 7 से रिलेटेड कोई भी डाउट आप यहां पोस्ट कर सकते है।
Kundan Kishore
Curator - A Complete Course on Indian Stock Market